[Dipawali in 2021] 2021 में दिवाली कब है तथा शुभ मुहूर्त !
दीपावली का क्या अर्थ है ?
दीपावली शब्द की उत्पत्ति संस्कृत के 2 शब्दों "दीप" जिसका अर्थ है "दीया" तथा "आवली" जिसका अर्थ है श्रृंखला, से हुई है । दीपावली में बहुत सारे दिए को पंक्ति में रखकर प्रज्वलित किया जाता है देश में सभी लोग दीपावली के इस पर्व को बड़ी खुशी प्रेम और भाईचारे के साथ हर्षोल्लास के साथ मनाते हैं तथा दीपावली के शुभ अवसर पर सोने चांदी के बने हुए गहने, नए वस्त्र तथा घर के लिए सात सज्जा के नए सामान की खरीददारी करते हैं तथा अपने दोस्तों परिवार वालों तथा परिजनों को देने के लिए मिठाई (diwali sweets) और अनेक प्रकार के (diwali presents) दिवाली उपहार देते हैं आतिशबाजी करते हैं तथा घर के मुख्य द्वार के सामने रंग बिरंगी रंगोली बनाते हैं।
धनतेरस कब है या धनतेरस कब मनाया जाता है !
दीपावली का प्रारंभ धनतेरस से होता है । दिवाली के प्रारंभ धनतेरस को एक और नाम से भी जाना जाता है जिसे छोटी दिवाली कहते हैं, जी हां धनतेरस को ही छोटी दिवाली के नाम से भी जाना जाता है । धनतेरस के दिन ही दिवाली के लिए नये सामान की खरीदारी की जाती है । धनतेरस दीपावली के 2 दिन पहले होता है और दिवाली के 2 दिन बाद भाई दूज होता है । इस प्रकार दिवाली का आरंभ धनतेरस से होता है और समापन भाई दूज के त्योहार से होता है।
(When is diwali 2021) दिवाली कब है?
हिंदी पंचांग के अनुसार दीपावली का त्योहार कार्तिक मास की अमावस्या तिथि के दिन मनाया जाता है। 2021 में दीपावली का त्योहार 04 नवंबर दिन गुरुवार को मनाया जाएगा । इसके दो दिन पहले अर्थात 02 नवंबर दिन मंगलवार को धनतेरस का त्यौहार मनाया जाएगा और 03 नवंबर दिन बुधवार को यम पूजन किया जाएगा तथा 04 नवंबर को महालक्ष्मी पूजन किया जाएगा।
05 नवम्बर दिन शुक्रवार को गोवर्धन पूजा किया जाएगा और 6 नवंबर को भाई दूज का त्यौहार मनाया जाएगा।
[Diwali 2021] दीवाली 2021 के लिए शुभ मुहुर्त !
दिवाली क्यों मनाया जाता है?
दिवाली का यह त्यौहार बुराई पर अच्छाई की जीत को दर्शाता है दीपावली का त्यौहार रामायण काल से जुड़ा हुआ है जब भगवान राम ने मां सीता को रावण से छुड़ाया था फिर मां सीता से अग्नि परीक्षा लेकर 14 वर्ष का वनवास व्यतीत कर अयोध्या लौटे थे इसके उपलक्ष में अयोध्या वासियों ने पूरे नगर में दीए जलाए थे तब से दीपावली का त्यौहार मनाया जाता है लेकिन आपको यह जानकर बहुत ही हैरानी होगा कि अयोध्या में केवल 2 वर्ष ही दिवाली मनाया गया था।
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